बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2A अर्थशास्त्र - पर्यावरणीय अर्थशास्त्र बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2A अर्थशास्त्र - पर्यावरणीय अर्थशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2A अर्थशास्त्र - पर्यावरणीय अर्थशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- पेरेटो की सामान्य कल्याण की इष्टतम् दशाओं की विवेचना कीजिए।
अथवा
अधिकतम सामाजिक कल्याण को प्राप्त करने के लिए पेरेटो अनुकूलतम की दशाओं का वर्णन कीजिए।
अथवा
पैरेटो द्वारा प्रतिपादित अनुकूलतम सामाजिक कल्याण की धारणा क्या है? पैरेटो का यह मानदण्ड केवल स्पष्ट स्थिति में लागू होता है। इसकी विवेचना कीजिए।
अथवा
पैरेटो की अनुकूलता को परिभाषित कीजिए।
उत्तर -
पेरेटो से पूर्व कल्याण की कल्पना मुख्य रूप से उपयोगिता को अधिकतम करने के रूप में व्यक्तिगत स्तर पर की जाती थी। इनका मानना था कि उपयोगिता की माप की जा सकती है तथा उसकी अन्तर्वैयक्तिक तुलनायें भी की जा सकती हैं। समाज कल्याण अधिकतम के 'वस्तुगत परीक्षण' की आधारशिला रखने वाले पेरेटो प्रथम अर्थशास्त्री हैं। इस सम्बन्ध में इन्होंने कहा है कि .
"हम उस समय कह सकते हैं कि कल्याण बढ़ (या घट) गया है, जब दूसरों की स्थिति में परिवर्तन किये बिना कम से कम एक व्यक्ति को पहले से अच्छी (या बुरी) स्थिति में ले जायें।"
इस तथ्य को प्रो. बोमोल ने स्पष्ट करते हुए लिखा है कि- "कोई परिवर्तन जो किसी को हानि नहीं पहुँचाता है तथा कुछ लोगों को श्रेष्ठतर बनाता है, आवश्यक रूप से सुधार समझा जाना चाहिए।"
इस आधार पर पेरेटो की अनुकूलतम सामाजिक व्यवस्था उस स्थिति को सूचित करती है जिसमें समाज का कोई भी सदस्य किसी अन्य सदस्य को उसकी अनचाही परिस्थिति में डाले बिना अपनी मनचाही परिस्थिति में प्रवेश नहीं कर सकता है।
मान्यतायें (Assumptions) - इसकी प्रमुख मान्यतायें निम्नलिखित हैं -
(i) उपयोगिता की माप क्रमवाचक आधार पर किया जाना सम्भव है न कि गणनावाचक आधार पर।
(ii) उपयोगिता वस्तुओं और सेवाओं की मात्रा पर निर्भर करती है न कि यह उनका आन्तरिक गुण है।
(iii) उपयोगिता की अन्तर्वैयक्तिक तुलनायें करना सम्भव नहीं है।
(iv) सभी वस्तुयें विभाज्य हैं।
(v) प्रत्येक उपभोक्ता का उद्देश्य अधिकतम सन्तुष्टि प्राप्त करना होता है।
(vi) वस्तु के उत्पादन में सभी उत्पादन साधनों का प्रयोग किया जाता है।
(vii) इस विश्लेषण में उत्पादन तथा विनिमय की समस्यायें ही शामिल की गयी हैं, न कि वितरण की।
(viii) प्रत्येक उत्पादक का उद्देश्य अपने लाभ को अधिकतम करना होता है।
पेरेटो के सामाजिक कल्याण विचार को निम्न प्रकार से व्यक्त किया जा सकता है -
कुछ व्यक्तियों की स्थिति में सुधार करने पर किसी अन्य व्यक्ति की स्थिति पहले की अपेक्षा खराब नहीं होती है तो सामाजिक कल्याण में वृद्धि होगी जबकि कुछ व्यक्तियों की स्थिति खराब हो जाने की स्थिति में सामाजिक कल्याण में कमी होगी, किन्तु कुछ व्यक्तियों की स्थिति में सुधार आने एवं कुछ व्यक्तियों की स्थिति खराब होने पर सामाजिक कल्याण की वृद्धि या कमी का आंकलन नहीं किया जा सकता है। इस सम्बन्ध में पेरेटो ने लिखा है कि "वितरण के किसी एक रूप को दिया हुआ मानकर, एक सामाजिक अनुकूलतम वह स्थिति है जिससे हटकर उत्पादन तथा विनिमय में कोई भी पुनर्संगठन किसी एक व्यक्ति को, बिना दूसरों को हानि पहुँचाये, अच्छी स्थिति में नहीं ला सकता है।"
परेटो की अनुकूलतम अवस्था अथवा अधिकतम सामाजिक कल्याण की अवस्था को निम्न चित्र द्वारा दर्शाया गया है -
रेखाचित्र द्वारा स्पष्टीकरण -
उपरोक्त चित्र में x एवं y अक्ष पर क्रमशः A एवं B की क्रमवाचक उपयोगिता को दर्शाया गया है उपयोगिता सम्भावना वक्र को PP द्वारा प्रदर्शित किया गया है जो कि A और B के उपयोगिता स्तरों के विभिन्न संयोगों को निरूपित करता है। पेरेटो का कहना है कि किसी भी प्रकार का परिवर्तन जो कि बिन्दु C से PP के बिन्दुओं E, G तथा F में से किसी पर भी ले जाता है। तो इस प्रकार का चलन उपयोगिता या कल्याण के शब्दों में सुधार को व्यक्त करता है। C में F तक का चलन B को क्षति पहुँचायें बगैर A के कल्याण में वृद्धि को प्रदर्शित करता है। इसी प्रकार A को क्षति पहुँचाये बगैर C से E तक का चलन B के कल्याण में वृद्धि को व्यक्त करता है तथा C से G तक का चलन दोनों व्यक्तियों A तथा B के कल्याण में वृद्धि को व्यक्त करता है।
अनुकूलतम कल्याण की दशायें (Conditions of Optimum Welfare) - प्रो. रेडर पेरेटो के अर्थ में निम्नलिखित सात इष्टतम दशाओं की व्याख्या की गयी हैं
1. उपभोक्ताओं के क्षेत्र में वस्तुओं के अनुकूलतम वितरण या आकंलन की दशा (Condition of the Optimum Allocation of Commodities in Consumer's Sector) - जब उत्पादित वस्तुओं की मात्रा दी गयी हो तो उपभोक्ताओं के मध्य वस्तुओं का अनुकूलतम वितरण इस प्रकार से किया जाना चाहिए जिससे कि किसी उपभोक्ता की सन्तुष्टि में कमी किये बगैर किसी अन्य उपभोक्ता की उपयोगिता में वृद्धि की जा सके।
2. साधनों के अनुकूलतम वितरण की दशा (Condition of Optimum Allocation of Factors) - किसी एक वस्तु के उत्पादन के लिए किन्हीं दो साधनों के मध्य उनको प्रयोग में लाने वाली प्रतिस्थापन की सीमान्त दर (RTS) उन दो फर्मों के लिए समान होनी चाहिए। इस प्रतिस्थापन की सीमान्त दर का तात्पर्य साधन की उस मात्रा से लगाया जाता है जो उसी उत्पादक के स्तर को बनाये रखने के लिए दूसरे साधन की कमी के कारण उत्पादन में होने वाली कमी पूर्ति के लिए आवश्यक है।
3. साधनों के अनुकूलतम प्रयोग की दशा (Condition of Optimum Factor Utilization) - इसके अन्तर्गत किसी दिये हुए उत्पादन के सम्बन्ध में किसी वस्तु के मध्य रूपान्तरण की सीमान्त दर उस वस्तु का उत्पादन करने वाली तथा उस साधन का प्रयोग करने वाले दो उत्पादकों अथवा फर्मों के लिए एक ही होनी चाहिए।
4. विशिष्टता की अनुकूलतम मात्रा की दशा (Condition of Optimum Degree of Specialisation) - इस शर्त के अनुसार किन्हीं दो फर्मों की वस्तुओं के मध्य रूपान्तरण की सीमान्त दर एक होने पर ही अनुकूलतम स्थिति प्राप्त होगी। रूपान्तरण की इस सीमान्त दर का आशय वस्तु की उस मात्रा से लगाया जाता है जिसका दूसरी वस्तु की अतिरिक्त इकाई का उत्पादन करने हेतु परित्याग करना पड़ता है।
5. उत्पादन के अनुकूलतम नियंत्रण की दशा (Condition of Optimum Direction of Product) - समाज के दो वस्तुओं के बीच तथा दो वस्तुओं के प्रयोग करने वाले दो उपभोक्तों के बीच रूपान्तरण की सीमान्त दर एक होनी चाहिए। इस दशा का सम्बन्ध आर्थिक कुशलता से है जिसका आशय है कि विभिन्न वस्तुओं का उत्पादन उपभोक्ताओं की पसन्दगी के साथ मेल खाने वाले संयोग में किया जाना चाहिए।
6. सम्पत्तियों के अन्तःकालिक अनुकूलतम आवंटन की दशा (Condition of Inter-temporal Optimum Allocation of Assets) - किन्हीं दो अवधियों में भुगतान की जाने वाली सम्पत्तियों के मध्य किन्ही दो व्यक्तियों के मध्य प्रतिस्थापन की सीमान्त दर समान होनी चाहिए। यह दशा विशेष रूप से वहाँ पर लागू होती है, जहाँ पर अनिश्चितता अथवा जोखिम के अभाव में व्यक्तियों द्वारा ऋण लिये एवं दिये जाते हैं।
7. साधन की इकाई को समय के अनुकूलतम आवंटित करने की दशा (Condition of Optimum Allocation of a Factor Unit's Time) - इस शर्त के अनुसार, प्रत्येक श्रमिक द्वारा प्राप्त आय और अवकाश के मध्य प्रतिस्थापन की सीमान्त दर एवं सम्पूर्ण समाज के लिए उत्पादन के बीच रूपान्तरण की सीमान्त दर में समानता होनी चाहिए।
आलोचनायें (Criticisms) : इसकी आलोचनायें निम्न प्रकार की गयी हंत
(i) पेरेटो ने अपने विश्लेषण में नैतिक मापदण्डों की मदद की है,
(ii) इनके मानदण्ड की व्यावहारिकता सीमित है,
(iii) इनका मानदण्ड समाज में स्थित विषय आय वितरण के विषय में या तो शान्त है अथवा उसकी वर्तमान स्थिति को स्वीकारता है,
(iv) इनके मानदण्ड द्वारा नैतिक निर्णयों से परतन्त्र हैं।
(v) इनके मानदण्ड द्वारा अधिकतम सामाजिक कल्याण बिन्दु को अनिश्चितपूर्वक निर्धारित नहीं किया जा सकता है।
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- प्रश्न- पर्यावरणीय अर्थशास्त्र से आप क्या समझते हैं? इसकी विषय सामग्री को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पर्यावरणीय अर्थशास्त्र की विषय सामग्री बताइये।
- प्रश्न- पारिस्थितिक तन्त्र से आप क्या समझते हैं? इसकी संरचना को समझाइये।
- प्रश्न- पारिस्थितिक तन्त्र की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पारिस्थितिक तन्त्र की संरचना बताइए।
- प्रश्न- पारिस्थितिक तन्त्र के प्रकार बताइए तथा पारिस्थितिक तन्त्र के महत्व का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विकास में पारिस्थितिक तन्त्र का महत्व क्या है?
- प्रश्न- पेरेटो की सामान्य कल्याण की इष्टतम् दशाओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कल्याणवादी अर्थशास्त्र में पैरेटो अनुकूलतम की शर्तें पूर्ण प्रतियोगिता में कैसे पूरी होती हैं? .आलोचनात्मक वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- पेरेटो के कल्याण अर्थशास्त्र की अथवा इससे सम्बद्ध अनुकूलतम शर्तों की मान्यताएँ बताइए।
- प्रश्न- बाजार असफलता क्या है?
- प्रश्न- बाजार असफलताओं के कारण समझाइये।
- प्रश्न- बाह्यताओं का आशय बताइये।
- प्रश्न- बाह्यताओं के प्रकार समझाइये।
- प्रश्न- भारत में पर्यावरणीय नीतियों के संक्षिप्त अवलोकन का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत की पर्यावरणीय नीति के सिद्धान्त बताइये।
- प्रश्न- पर्यावरण नीति बताइये।
- प्रश्न- राष्ट्रीय पर्यावरणीय नीति, 2006 क्या हैं?
- प्रश्न- राष्ट्रीय पर्यावरण नीति, 2006 के उद्देश्य बताइए।
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- प्रश्न- राष्ट्रीय जल नीति को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में वन नीति को समझाइए।
- प्रश्न- सतत विकास को प्राप्त करने में पर्यावरणीय नीति कहाँ तक सहायक रही है?
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- प्रश्न- सीमा पार पर्यावरणीय मुद्दों से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- जलवायु परिवर्तन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
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- प्रश्न- पर्यावरणीय मूल्यांकन से आप क्या समझते हैं? इसके मूल्यांकन की विधियों को बताइये। पर्यावरणीय मूल्यांकन की स्पष्ट अधिमान विधियों का विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पर्यावरणीय मूल्यांकन की विभिन्न विधियाँ क्या हैं?
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- प्रश्न- प्रतिबन्धात्मक व्यय विधि को समझाइये।
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- प्रश्न- मजदूरी-विभेदात्मक उपागम बताइये।
- प्रश्न- पर्यावरणीय मूल्यांकन की लागत आधारित विधियाँ का विस्तृत वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- सतत् विकास से आप क्या समझते हैं?
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- प्रश्न- बाह्यताओं के प्रकार समझाइये।
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- प्रश्न- मूल्य आधारित पर्यावरणीय शिक्षा का महत्व एवं आवश्यकता समझाइये।
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